शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

अजीब इश्क है उनका मुझसे
कि अपनाते भी नहीं
और शिकायत भी रखते हैं

दुनिया छोड़ सकते हैं एक उनके खातिर
पर पता नहीं क्यूँ वो यकीन करते ही नहीं |

और बस यही शिकायत है हमको भी
कि दरिया तो दूर बूँद भी नहीं बरसाते
और कहते हैं शमा जल रहा है |

अमर जुबानी 

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

कितना भी बुरा हूँ पर दिल में दर्द तुम्हारा ही है 
इन लबो में जुबान भले ही तेरी शिकायत की हों
पर दिल की गहराई में एहसास तुम्हारा ही है 
बस नासूर है दिल मेरा जो खरोंचो से भी तड़प उठता है 
और मोहब्बत के एक बूँद से छलक भी पड़ता है ||
पर मुझे ना समझने वाले ऐ मेरे फिकरमंद 
         खुदा कोई भी हो 
पर मेरी इबादत में नाम तुम्हारा ही है ||

                   अमर जुबानी 

शनिवार, 4 नवंबर 2017

मायने जिंदगी के तुम्हारे कुछ और ही है
पर मैं तो मौत को भी जिंदगी समझता रह गया
हमें पता ही नहीं था बूत में जान नहीं होती
बस पत्थर में खुदा ढूंढता रह गया |