कितना भी बुरा हूँ पर दिल में दर्द तुम्हारा ही है
इन लबो में जुबान भले ही तेरी शिकायत की हों
पर दिल की गहराई में एहसास तुम्हारा ही है
बस नासूर है दिल मेरा जो खरोंचो से भी तड़प उठता है
और मोहब्बत के एक बूँद से छलक भी पड़ता है ||
पर मुझे ना समझने वाले ऐ मेरे फिकरमंद
खुदा कोई भी हो
पर मेरी इबादत में नाम तुम्हारा ही है ||
अमर जुबानी
Nice
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