रविवार, 19 अप्रैल 2020

मधुशाला राम से बढ़कर ! मेरा विरोध |

बता देंगे अगर मय को मधु
तो मधु की परिभाषा क्या होगी ||

ठहरा देंगे जो कातिल को सही |
तो गुनाह की परिभाषा क्या होगी ||

गुरूर तो है मुझे कभी मधुशाला नहीं लिखा |
बड़ी से बड़ी मजबूरी को वैश्यालय नहीं लिखा ||

गम में जाम मिलाने को सादगी नहीं कहते |
जो हार जाए स्वयं से उसे बहादुरी नहीं कहते ||

जीवन तो है ही आंसुओं की धारा |
सुलगती रेत में उम्मीदों की प्याला |

मगर पथविहीन हो जाये नर अगर
तो उसे कभी राही नहीं लिखा |

फक्र है कलम पर दिल के घूँट को
 मदिरा की प्याली नहीं लिखा ||
......................अमरेंद्र.......................
मधु का मतलब शहद या मीठा होता है लेकिन इसका दूसरा मतलब शराब से भी लगाते है क्योंकि कभी शराब शहद से ही बनाई जाती थी पर इसका अर्थ ये नहीं कि उसे मधु का नाम दे दिया जाए इसलिए मधु का अर्थ शराब लगाना मेरे नजरिये से गलत है |हालांकि कहा जाता है बच्चन साहब ने शराब को कभी हाथ नहीं लगाया | लेकिन गुनाह ना करने से ज्यादा गलत गुनाह पैदा करना है |

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