गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

ऐसा दीप करो प्रज्ज्वलित की जीवन जगमग हो जाए |
लौ जला दो ऐसी दिल में की अंतर्मन रौशन हो जाए ||

सूखी चुकी जीवन की पंखुड़ियों पर प्रवाह प्राण का हो जाए |
कर दो प्रभात धरती में की स्फुरण ओज का हो जाए ||

मानवता फूट पड़े धरती से उत्थान हर पतित का हो जाए ||
हार गया हो जो जीवन से उसमें उत्साह वृद्धि का भर जाए ||

प्राप्त हैं जो मृत्यु को कुकृत्य से लिपटे हुए
जीवन उनका भी सुकर्मो में झुलस जाए |

चेतना की अलख प्रत्येक चित्त में जग जाए ||


वीरांगनाओ की इस माटी में अंकुरण क्षत्राणियों का फिर स्फुटित हो जाए |
हर नारी के अंतर्मन मन में सतीत्व उदय हो जाए ||

राजनीति के अंचल में प्रवास सद् भावो का बस जाए ||
चमचमा उठे ये भरतखण्ड, अंतर्नाद ब्रम्हांड तक पहुँच जाए ||

ऐसी फ़रियाद करो मालिक से की राज्य राम का फिर से हो जाए |
इस बार दिवाली में ऐ विधाता प्रभात हर जीवन में हो जाए ||

शुभ दीपावली आप सभी को मेरी तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं आपका दोस्त  ||अमरेंद्र||

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