गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

वो महान शक्ति जो पूरे ब्रम्भाण्ड को घुमा रही है कल्पना से बाहर है किन्तु उसकी एक सर्वश्रेष्ठ काबलियत है बुद्धि जिसको वो शून्य में स्थापित करके अनंत तक गतिशील बना दिया है |
हम इंसानो का इकलौता मालिक सिर्फ वही है और उसी पर निर्भर है कि कब किसी अचेतन में वह इसे जाग्रत करके चलायमान कर दे | इसीलिये अगर कोई ब्यक्ति बहोत आगे तक जाता है तो इसका कारण यही महान शक्ति है जिसे हम ईश्वर कहते है इसलिए अगर आपके पास अद्भुत दिमाग व कला है तो ये आपके पास है ना की आपका है और ये आपको कठिन परिश्रम से मिला है और ये परिश्रम जन्मो पुराना भी हो सकता है | इसलिए योग्यता को प्रकति की धरोहर मानकर उसके मुताबिक़ उसका सदुपयोग करना चाहिए और किसी भी चीज का सदुपयोग परोपकार पर छुपा है | अपने उपकार पर एक छणिक सुख का एहसास होता है जिससे अहंकार उत्पन्न हो जाता है फिर जो विनाश व पतन का कारण बनता  है | इसलिए ये हमेशा ध्यान रहे की जो योग्यता हमारे पास है वो प्रकति का दिया हुआ वरदान है जिसको हमें सार्थक सिद्ध करना है ना की उसका दुरपयोग करके उसे निरर्थक बनाना | क्योंकि आपके मेहनत, आपकी तपस्या और आपके संघर्ष करने की क्षमता से उसे लगा कीतुम इसके काबिल हो
किन्तु हम किसी भी चीज को पाने के लिए हद से ज्यादा मेहनत व संघर्ष करते है किन्तु प्राप्त करने के पश्चात हम उसकी गंभीरता को छोड़ देते है ये नहीं सोचते की इतने संघर्षो के बाद तो हमें यह राह मिली है
चलना तो अभी बाकी है |

आपका दोस्त ||अमरेंद्र||

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