जिंदगी स्वयं से निकल कर ही उत्थान की ओर बढ़ती है जब तक इंसानी मन मैं से नहीं निकल पाता तब तक उसका उत्थान भी असंभव हो जाता हैं |
याद रखे सृष्टि का हर एक जीव परमात्मा का प्रकाश है जो की कुकर्मो के प्रभाव से भिन्न भिन्न योनियों में भटक रहा हैं | अतः स्वयं की हर एक शक्ति हर एक में विद्यमान है वो चाहे सुप्तावस्था में ही क्यूँ ना हो किन्तु है जरूर इसलिए प्रत्येक जीव को हमें पर्मात्माधीन मानना चाहिए | और लौकिक जगत में भी हम तभी विकास की ऊंचाई पाते हैं जब हमारी प्रकति निःस्वार्थ हो | हमारी चेतना जब अंतरभिमुख होकर जब ऊंचाई की ओर बढ़ती है तब हम विकास की उत्थान की सारी हदें पार कर जाते है |
वहीं दूसरी ओर हमारा पतन तभी सुनिश्चित होता हैं जब हम अहंकार में स्वयं के वजूद को रखते हैं और मैं के अलावा कुछ आगे देख ही नहीं पाते जिससे हम परमार्थ से भी वंचित हो जाते हैं और उत्थान से भी अतः सदैव यह कोशिश करें की जीवन में किसी भी शानदार प्रदर्शन में हम ईश्वर को ही धन्यवाद करें इससे अहंकार कभी हम पर हावी नहीं हो पाता क्योंकि अहंकार ही जीवन की वो शत्रू हैं जो इंसानी वजूद पर कब्ज़ा कर लेती है और इंसान उस शिखर की और नहीं बढ़ पाता जिधर उसे जाना था क्योंकि अहंकार स्वयं के अलावा उसे आगे बढ़ने ही नहीं देता और जीवन मैं में उलझकर अपनी मधुर बेला को समाप्त कर अंधेरो के गर्त में पहुँच जाता है |
दोस्तों आइये जानते हैं कुछ तरीके जिससे हम मैं को स्वयं से दूर रखे : -
1 :- जीवन की किसी भी सफलता के मालिक सिर्फ तुम नहीं हो सकते ये बात अपने चित्त में बैठा लेनी चाहिए |
2 : हमारा मन हमेशा सरल और सकारात्मक बना रहे इसके लिए प्रार्थना को दिनचर्या में शामिल करें |
3 :- दूसरो को सम्मान देना सीखे भले ही वो हैसियत में आपसे छोटा या कमजोर हो |
4:- किसी ना किसी महापुरुष को अपना आदर्श बनाये और उनके विचारो को समय समय पर दुहराते रहे ये आप में सकारात्मक ऊर्जा भरेंगे |
5:- दूसरो की सफलता पर उन्हें बधाई देना ना भूले इससे आपका गुरुर खत्म होगा साथ में आपके रिश्ते भी मजबूत होंगे |
साथियों छोटी छोटी बातो पर क्रोधित हो जाने की अपेक्षा माफ़ करना सीखे इससे आप में गजब का परिवर्तन होगा और आपका हृदय पवित्र होगा जो कि ईश्वरीय शक्तियों का केंद्र बनेगा |
और हम जिंदगी को धन्य बनाते हुए प्रकति के दिए वरदान को सार्थक करें और आज से ही एक प्रेम भरे जीवन की ओर अग्रसर हो जाये |
दोस्तों कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रया जरूर दें कि आज से आप अपने ब्यक्तित्त्व में परिवर्तन के लिए संकल्पवादी बने हो कि नहीं |
..........आपका मित्र और हितैषी अमर जुबानी................
याद रखे सृष्टि का हर एक जीव परमात्मा का प्रकाश है जो की कुकर्मो के प्रभाव से भिन्न भिन्न योनियों में भटक रहा हैं | अतः स्वयं की हर एक शक्ति हर एक में विद्यमान है वो चाहे सुप्तावस्था में ही क्यूँ ना हो किन्तु है जरूर इसलिए प्रत्येक जीव को हमें पर्मात्माधीन मानना चाहिए | और लौकिक जगत में भी हम तभी विकास की ऊंचाई पाते हैं जब हमारी प्रकति निःस्वार्थ हो | हमारी चेतना जब अंतरभिमुख होकर जब ऊंचाई की ओर बढ़ती है तब हम विकास की उत्थान की सारी हदें पार कर जाते है |
वहीं दूसरी ओर हमारा पतन तभी सुनिश्चित होता हैं जब हम अहंकार में स्वयं के वजूद को रखते हैं और मैं के अलावा कुछ आगे देख ही नहीं पाते जिससे हम परमार्थ से भी वंचित हो जाते हैं और उत्थान से भी अतः सदैव यह कोशिश करें की जीवन में किसी भी शानदार प्रदर्शन में हम ईश्वर को ही धन्यवाद करें इससे अहंकार कभी हम पर हावी नहीं हो पाता क्योंकि अहंकार ही जीवन की वो शत्रू हैं जो इंसानी वजूद पर कब्ज़ा कर लेती है और इंसान उस शिखर की और नहीं बढ़ पाता जिधर उसे जाना था क्योंकि अहंकार स्वयं के अलावा उसे आगे बढ़ने ही नहीं देता और जीवन मैं में उलझकर अपनी मधुर बेला को समाप्त कर अंधेरो के गर्त में पहुँच जाता है |
दोस्तों आइये जानते हैं कुछ तरीके जिससे हम मैं को स्वयं से दूर रखे : -
1 :- जीवन की किसी भी सफलता के मालिक सिर्फ तुम नहीं हो सकते ये बात अपने चित्त में बैठा लेनी चाहिए |
2 : हमारा मन हमेशा सरल और सकारात्मक बना रहे इसके लिए प्रार्थना को दिनचर्या में शामिल करें |
3 :- दूसरो को सम्मान देना सीखे भले ही वो हैसियत में आपसे छोटा या कमजोर हो |
4:- किसी ना किसी महापुरुष को अपना आदर्श बनाये और उनके विचारो को समय समय पर दुहराते रहे ये आप में सकारात्मक ऊर्जा भरेंगे |
5:- दूसरो की सफलता पर उन्हें बधाई देना ना भूले इससे आपका गुरुर खत्म होगा साथ में आपके रिश्ते भी मजबूत होंगे |
साथियों छोटी छोटी बातो पर क्रोधित हो जाने की अपेक्षा माफ़ करना सीखे इससे आप में गजब का परिवर्तन होगा और आपका हृदय पवित्र होगा जो कि ईश्वरीय शक्तियों का केंद्र बनेगा |
और हम जिंदगी को धन्य बनाते हुए प्रकति के दिए वरदान को सार्थक करें और आज से ही एक प्रेम भरे जीवन की ओर अग्रसर हो जाये |
दोस्तों कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रया जरूर दें कि आज से आप अपने ब्यक्तित्त्व में परिवर्तन के लिए संकल्पवादी बने हो कि नहीं |
..........आपका मित्र और हितैषी अमर जुबानी................
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