संघर्षो का सीना चीर के जो बुलंदी छुआ करते हैं
आखिर में वही जिंदगी जिया करते हैं |
चंद साँसों का चलना ही जीवन नहीं होता
संघर्ष विहीन जीवन का उत्थान नहीं होता |
हसरतो का बिखरना जायज है
खाबो का टूटना जायज है
और जो उठा है उसका गिरना भी जायज है
पर बिना प्रयास ही मिले सफलता
ये कहा जायज हैं |
कठोर माटी का सीना चीर कर जो स्फुटित हो जाते हैं
फिर वही विशाल बृक्ष बनकर जगत में पहचान पातें हैं
बस यही सिद्धांत हैं इस लौकिक जगत का
जो टूट जाने पर भी अपनी पहचान नहीं भूला करते
वो एक दिन फिर स्फुटित हो जाया करते हैं |
आखिर में वही जिंदगी जिया करते हैं |
चंद साँसों का चलना ही जीवन नहीं होता
संघर्ष विहीन जीवन का उत्थान नहीं होता |
हसरतो का बिखरना जायज है
खाबो का टूटना जायज है
और जो उठा है उसका गिरना भी जायज है
पर बिना प्रयास ही मिले सफलता
ये कहा जायज हैं |
कठोर माटी का सीना चीर कर जो स्फुटित हो जाते हैं
फिर वही विशाल बृक्ष बनकर जगत में पहचान पातें हैं
बस यही सिद्धांत हैं इस लौकिक जगत का
जो टूट जाने पर भी अपनी पहचान नहीं भूला करते
वो एक दिन फिर स्फुटित हो जाया करते हैं |
Very nice
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