हमने जिंदगी को ही सब कुछ माना |
पर ये भी वक्त की गुलाम निकली ||
आंसुओ की दरिया में बैठी जिंदगी |
टटोला तो जख्मों से घायल मिली ||
कयामत के कहर से हर पल बचाता रहा इसे |
पर ये तो मौत की ही दीवानी निकली ||
हमसे कोई रंजिश तो नहीं थी |
फिर हमें तू क्यूँ मिली जिंदगी |
यूं फूल बनकर जो कांटो से चुभाना था |
तो बहार बनकर क्यूँ बिखरी जिंदगी ||
हमने तो तुझे रब से पहले जाना जिंदगी |
पर साथ तेरा गैर से भी बदत्तर रहा जिंदगी |
.....................अमर जुबानी..........................
पर ये भी वक्त की गुलाम निकली ||
आंसुओ की दरिया में बैठी जिंदगी |
टटोला तो जख्मों से घायल मिली ||
कयामत के कहर से हर पल बचाता रहा इसे |
पर ये तो मौत की ही दीवानी निकली ||
हमसे कोई रंजिश तो नहीं थी |
फिर हमें तू क्यूँ मिली जिंदगी |
यूं फूल बनकर जो कांटो से चुभाना था |
तो बहार बनकर क्यूँ बिखरी जिंदगी ||
हमने तो तुझे रब से पहले जाना जिंदगी |
पर साथ तेरा गैर से भी बदत्तर रहा जिंदगी |
.....................अमर जुबानी..........................
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