तस्वीर मेरी साफ़ है पर जाने क्यूँ शिकायत रहती हैं लोगो को |
जाने क्यूँ कीमत मेरी एहसास नहीं होती इस खुदगर्ज जमाने को |
सब रंग चढ़े पत्थर को ही दिल समझ लेते है |
पर मेरे आंसुओ को भी लोग दगा कह देते हैं ||
तकलीफ बस यही है मुझ दिल की
की मैं टूट जाता हूँ किसी के लिए
और लोग मुझे टूटा हुआ कह देते हैं |
अलविदा
अमरेंद्र
जाने क्यूँ कीमत मेरी एहसास नहीं होती इस खुदगर्ज जमाने को |
सब रंग चढ़े पत्थर को ही दिल समझ लेते है |
पर मेरे आंसुओ को भी लोग दगा कह देते हैं ||
तकलीफ बस यही है मुझ दिल की
की मैं टूट जाता हूँ किसी के लिए
और लोग मुझे टूटा हुआ कह देते हैं |
अलविदा
अमरेंद्र
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