If a person becomes silent after listening to someone, then understand that he is thinking about him very deeply.
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गुरुवार, 20 अक्टूबर 2022
शनिवार, 8 अक्टूबर 2022
खूबसूरत चांद पर
खूबसूरत चांद पर ये काले धब्बे अच्छे नही लगते ।
मुस्कुराते लबों पर अश्कों के बूंद अच्छे नही लगते ।।
रोना ही है तो रोना जब हम ना रहें तुम्हारे जीवन में ।
हमारे रहते तुम्हे कोई गम छू जाए, ये बर्दास्त नही कर सकते ।।
शनिवार, 24 सितंबर 2022
चांद आया है ।
आसमां इतना पिघला कि जमीं पर सैलाब आया है ।
जो सोचा ही नहीं वो मंजर नजर आया है ।।
यकीन नही होता की जिंदगी इतनी हसीन होती है ।
मानो चांद पूरे शबाब में होकर जमी पर उतर आया है ।।
सोमवार, 28 फ़रवरी 2022
मोहित !
ये भड़काऊ मैसेज जहाँ से आये कड़े शब्दो मे उन्ही को रिवर्ट कर दो ।
अगर इनमें कोई एफ आई आर किया जाए तो पहले उसी को पकड़ा जाएगा जिसने शेयर किया । इसलिए ऐसी चीजों को फैलाने से बचो, क्योंकि ऐसी चीजें सामाजिक समरसता बिगाड़ने वाली असवैधानिक हैं ।।
बाकी ऐसे गन्दे लोग समाज को खोखला करने वाले गंदी नाली से भी ज्यादा गन्दे लोग है । जिनकी औकात मोबाइल तक ही सीमित है ।
और मैं ग्रुप को राजनीति विहीन रखने पर इसीलिए जोर देता रहता हूँ , कि इंटरनेट का जमाना है । ऐसे में कोई भी कुछ भी उठा कर बोल देगा, कह देगा ।
इससे सिर्फ फालतू की बहसबाजी के सिवा कुछ होना नही है ।
कोई दिल्ली में बैठा कह देगा राम हमारे खतरे में है तो कोई सूरत में बैठा कह देगा आज वोवैसी ने बोला कि अल्ला हमारा खतरे में है अब सामने कोई कुछ बोले तो उसे उत्तर भी पूरा मिले, इंटरनेट में बस जुबानी द्वंद छोड़ कुछ होना नही है ।
या तो बिना मतलब के अपना टाइम वेस्ट करो, फालतू के बहस में ।
अब इसी को ले लो इसकी औकात नही है कि किसी भी जाति या धर्म का अपमान सामने से आकर करे , लेकिन मोबाइल में देखो हिटलर का अम्मा लग रहा है ।
तो इंटरनेट की दुनिया मे ऐसे लोग भरे पड़े हैं, कोई हिंदुओं को खत्म कर रहा है तो कोई मुस्लिम भगा रहा है कोई भीम आर्मी बनाये बैठा है, तरह तरह की नीचता और नीच लोगो से इंटरनेट भरा पड़ा है अब किसको किसको ढूंढते फिरोगे ।
इसलिए इसमें सिर्फ सकारात्मक और अच्छी चीजों को पकड़ो और उनसे मजबूत बनो और समाज को मजबूत बनाओ ।।
और राजनीति इतनी वाहियाद चीज है कि इसमें जो दिखता है वो होता नही है । इसमे अगर जरूरत पड़ जाए तो अपने बाप की भी बली चढ़ा देते है । ये तो छोटी मोटी ऑडियो क्लिप है ।
मैं कुछ बड़े नेताओं की जिंदगी बहुत करीब से देखा हूँ । एक दो के आज भी नम्बर है फ़ोन व्हाट्सप मैसेज भी आ जाते है ।
राजनीति की गहराई में इतनी गन्दगी है कि उसका सम्पूर्ण वर्णन शब्दों से सम्भव नही ।
इस ऑडियो क्लिप की सच्चाई कुछ भी हो सकती है और सोसल मीडिया झूठ, फैलाकर, जाति और धर्म मे नफरत भरने के लिए जानी जाती है...
अर्थात
सच्चाई कुछ भी हो सकती है, किसी भी कंडीसन में भलाई ऐसी चीजो से नही है और अफवाहों से दूर रहो, उससे होगा कुछ नही बस इतना होगा कि तुम्हारे अंदर एक आग लग जायेगी और ये बन्दा तुम्हे मिलेगा नही कोई दूसरा तुम्हारे आस पास गाँव का जो इसकी बिरादरी का होगा उसी से नफरत करोगे और उसी को इसकी लगाई आग से किसी निर्दोष को जला बैठोगे नही भी जलाओगे तो मन मे ऑडियो क्लिप का जहर हमेशा बसा रहेगा कि ये अम्बेडकर वाले लोग हैं ।
उसकी क्या सोच है वो समझ ही नही पाओगे माइंड में क्लिप में बोली गई जुबान अपने ही विचार ही फेंकती रहेगी ।।
सारे दंगों की जड़ यही एक चीज है कि एक किसी कौम का अधर्मी हमारे दिमाग में उस पूरी जाति के प्रति अधर्म की पिक्चर बना देता हैं ।
और बदले की नाभकीय संलयन प्रक्रिया पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है ।।
इंटरनेट की दुनिया से सिर्फ सही चीजे उठाओ और सही चीजे परोसो ।।
ये मात्र एक सलाह है । बाकी भड़काऊ लपटें तेजी से धधक रही है और कूदने वाले भी स्वतंत्र ही होते हैं ।।
कौम और जाति किसी की खतरे में नही है हां इंसानियत जरूर खतरे में है
ब्राह्मण हो या ठाकुर उसका अस्तित्त्व उसी के हाथ मे हैं । कोई दूसरा कोई किसी को नही मिटा पायेगा ।।
जब ठाकुर फौलादी सीने को वैश्यालय की आंच से पिघलायेगा तो उसका नाश होना है ।
और ब्राह्मण जब अपनी पोथी को पैरों तले कुचल कर हाथ मे बोतल शराब की थामेगा तो उसका भी विनाश होना है ।।
और कोई अगर अपने मूल और अपनी असलियत को लिए जिंदा है तो उसका कोई कुछ नही बिगाड़ पायेगा ।।
एक शिवा जी बनकर देखो लाख भेड़ियों पर भारी पड़ोगे ।
कर लो खुद को स्वच्छ अगर तो इन गन्दे सूड़ो को पल में साफ करोगे ।।
बुधवार, 2 फ़रवरी 2022
गुरुवार, 27 जनवरी 2022
सोमवार, 4 मई 2020
इंसानी जज्बा |
बहारो को देखूँ तो साँसे वहीं सुकून पाती हैं ||
हैरत नहीं मुझे कि आसमां में भी आशियाना हो सकता है |
ये जूनून हैं जनाब खाबों का भी जिन्दा वजूद हो सकता है ||
बेचैनी जब होती है दिल में तो वजूद खुदा का भी हिल जाता है |
सच मानो मुसाफिर है गर सच्चा तो आसमां भी पैरों तले आ जाता है ||
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विक्षुब्ध ह्रदय संताप प्रभा का बयां करू या कष्ट फूलो का स्फुटित करू | है कालचक्र का ये कैसा पग घनघोर प्रलय को कैसे कहूँ | उदीप्त रह...