बुधवार, 22 फ़रवरी 2023

 धन्यवाद आपका ।

सबसे पहले मैं इस बात पर गर्व करते हुए बता दूं कि हम लोग उस गुरुकुल के विद्यार्थी रहे है जहां पर हमे बताया गया था कि कहीं भी राष्ट्रगान कानो में पड़े तो वही रुक जाओ जिसका आज भी हम पालन करते है ।

10 साल की उम्र में हम तिरंगे को देखते तो आंखों से आंसू निकलने लगते थे । 

मैं यह इसलिए बता रहा हूं कि उस काल में हमारे गुरुजन कितने महान व्यक्तित्व के धनी थे । की ये  सारी चीजें हमारे अंदर बचपन में ही डाल दिए थे । पिताजी जब अपने ओजस्वी वाणी से हमे क्रांतिकारियों और आजादी के लिए संघर्ष सिपाहियो की गाथा सुनाते थे तो बस देश के लिए मर मिटने के लिए मन मचलने लगता था ।

मुझे पता नहीं की आजकल भी ऐसे गुरु है लेकिन विश्वास है ।

लेकिन अगर आपके दौर में ऐसे व्यक्ति मिल जाए तो पूरी जिंदगी गौरवान्वित महसूस करती है ।


और आपने जिन कमियों का उल्लेख किया ये गंभीर के साथ चिंतनीय भी है ।

और ये कमियां अगर खासकर अपने गांव की बात करू यहां तक की पूरे देश में भी हर जगह और हर एक तरफ से है ।

लेकिन आम जनमानस से ज्यादा दुख तब ज्यादा होता है जब कोई पढ़ा लिखा इंसान सामाजिक कुकृत्य करता है।

इसके अलावा मुझे रोना तब और ज्यादा आता है जब किसी पद पर बैठा व्यक्ति भ्रष्टाचार जैसे घृणित कार्य करता है । सरकारी और सामाजिक पूंजी से अपना घर चमकाता है ।

वो कहीं ज्यादा दोषी है समाज को गर्त में ले जाने के लिए ।

यह बात सर्वविदित है की चुनावों में कितना और क्यूं खर्च किया जाता है, आपको पता ही होगा कि ब्लाक प्रमुख, जिला अध्यक्ष बनने में करोड़ों लगाया जाता है आखिर क्यूं?

ग्राम प्रधानी में जहां मानदेय शायद ज्यादा से ज्यादा 3500 मिलता होगा वहां लाखो की संपत्ति पानी की तरह क्यूं बहा दी जाती है । क्या सिर्फ समाज सेवा के लिए ? यह सवाल जरूर प्रजातंत्र पर उठता है ।

 हां कुछ त्यागी पुरुष जरूर समाज के लिए खुद को न्यौछावर करते है लेकिन अधिकतर कहीं ना कहीं इस देश को गांव को समाज को खोखला करते है । 


और हां मैं यहां किसी पर आरोप नही लगा रहा हूं । मैं सिर्फ यह बताने की कोशिश कर रहा हूं की आम इंसान पर अगर कोई आरोप लगाए जा रहे है तो ये सिर्फ एक तरफा होगा । 

अगर आप अंधकार की बात करते है तो आज मुझे अंधकार की छाया हर ओर दिखाई देती है 

किसी एक पर दोष मढ़कर हम पूरे समाज को सही दिशा में नही ले जा पाएंगे । बल्कि हमारे लिए यह जरूरी है की हर इंसान अपना कर्तव्य करे उसका व्यक्तित्व चाहे जितना बड़ा हो ।


आज प्रजा के कर्म गलत तो है इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन हम नेताओं के कर्मो को भी नजर अंदाज नहीं कर सकते है । और विकास के कामों के लिए दोनो जिम्मेदार है । 


इन सबके अलावा पूरा समाज अच्छी सोच का मालिक नही बन सकता क्योंकि समाज में हर तरह के लोग होते है । अगर पूरा समाज अच्छी सोच का मालिक बन सकता तो नियम कानून बनाने की और दंड विधान बनाने की जरूरत ही न पड़ती हर इंसान ज्ञानी होता समझदार होता और जागरूक होता लेकिन ऐसा ना कभी हुआ है ना ही है और ना ही होगा कम ज्यादा जरूर हो सकता है लेकिन एक राजा से एक अधिकारी से एक ग्राम मुखिया से हम जरूर ये अपेक्षा कर सकते है कि वह सदाचारी हो, समदर्शी हो जब वह सामाजिक शक्ति का उपयोग करे तो उसके लिए ना ही कोई अपना हो ना ही पराया हो ।

इसके अलावा आम जन को भी अपने कर्तव्य याद होने चाहिए, उनके प्रति सचेत होना चाहिए एवं कर्मो द्वारा स्पष्ट होना चाहिए ।

लेकिन अगर किसी पदाधिकारी के कर्म समाज के सबसे कुकर्मी व्यक्ति से भी नीचे हो जाए तो बुद्धिजीवियों को सबसे पहले उसके बारे में सोचना चाहिए क्योंकि समाज का नाश जितना वह कर सकता है उतना कोई आम इंसान नही कर सकता ।


और इस सब के अलावा कुछ अधर्मी हर युग में थे और रहेंगे भी लेकिन मुख्य उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होना ही मुख्य और चिंतनीय है ।

लेकिन जब राजा श्री जैसा व्यक्तित्व हो उस समाज में बुद्धिजीवियों की संख्या अधिक हो तो प्रजा भी उसी अनुरूप हो जाती है ।


इसलिए बुद्धिजीवियों का काम है की अपनी संख्या बढ़ाए बच्चो में संस्कार भरकर समाज का भविष्य तैयार करें और उस देश का राजा सदमार्ग ना छोड़ पाए, बेईमान ना बन पाए उसके लिए कार्य करें । मेरे लिए यह प्रमुख है । और यह मैं करता भी हूं अपनी तरफ से बिना भयभीत हुए । और आप मेरे अनुसार आप एक आम इंसान के गलत कर्मो पर अंकुश लगाए या ना लगाए लेकिन आप अगर पढ़े लिखे है बुद्धिजीवी है तो एक राजा के छोटे से भी गलत काम को टोंके जरूर । बिना भयभीत हुए । और पहले तो कोशिश करे कि कोई दुराचारी इंसान कभी हुकूमत ना कर पाए ।

 

अपना हो या पराया अगर वह कोई न्याय के आसान पर बैठा है तो उससे न्याय ही करवाए और यही इतिहास काल से बीरबल मंत्रियों द्वारा होता भी रहा है ।

बाकी समस्या हर जगह है आप जैसे होनहार योग्य गुणी और पढ़े लिखे युवाओं से मैं यही अपेक्षा करूंगा की समस्या के साथ उसका हल भी खोजे । यही सच्चे मायने में जन्मभूमि के प्रति हमारी भक्ति भी होगी ।

आम जनमानस को जागरूक जरूर करते रहे, शिक्षा का कार्य आप कर ही रहे है जो की अत्यंत सराहनीय है बच्चो में संस्कार भरते रहे ताकि आने वाली पीढ़ी सचेत रहे अपने कर्तव्यों के प्रति, ग्राम विकास संबंधी योजनाओं को सबको बताते रहे, सरकारी संपत्तियां हमारे लिए कितनी जरूरी है यह एहसास लोगो में भरते रहें । क्योंकि भगवान ने आपको मात्रभूमि से जोड़ रखा है जो की आज के समय में जहां हर नौजवान बाहर भग रहा है यह काफी महत्वपूर्ण है और आपका सौभाग्य भी है ।


आपका पुनः धन्यवाद । हम सब राजा और प्रजा मिलकर जरूर पूरी ग्राम सभा को जरूर शिखर तक पहुंचाएंगे । ऐसा मेरा विश्वास है ।


राम राम

अमरेंद्र शुक्ला

शनिवार, 17 दिसंबर 2022

 हर नारी दुर्गा नही और हर पुरुष राम नही ।

सूपर्णखा और रावण भी है हर कोई भगवान नही ।।

सोमवार, 14 नवंबर 2022

तेरी खामोशी में बिखरा कोई दर्द नजर आता है ।
तेरे अरमानों की दुनिया का कोई खाब अधूरा नजर आता है ।।
ऐ दोस्त तेरी जिंदगी का फलसफा क्या है हमे नही पता ।
पर खोल अपनी आंखे खाबो के भीतर, तेरा पूरा आसमां मुझे नजर आता है ।।

रविवार, 6 नवंबर 2022

सम्पूर्ण तथ्य के ज्ञान बिना अपने छुद्र दिमाग की संकुचित सोच किसी पर थोप कर अपने व्यक्तित्व की परिभाषा नही देनी चाहिए ।

शनिवार, 5 नवंबर 2022

 ऐ खुदा उनकी जिंदगी में भी बहार ला दे ।

जिनको वो चाहते हों उनसे उन्हे मिला दे ।।

मायूस लगते हैं वो जब जमाने की चमक देखते हैं ।

करके कुछ करिश्मा उनकी खुशियां उन्हे नसीब करा दे ।।

गुरुवार, 3 नवंबर 2022

नजरें मिली, नजारें मिले खुश हुआ चलो उनको चाहने वाले मिलें लेकिन इस मुस्कुराते चेहरे को अब किस बात के शिकवे गिले हुए ।।

 हर कोई तलाश रहा था दौलत, कोई दौलतमंद ना मिला ।

एक फकीर को छोड़कर तेरी दुनिया में कोई अमीर ना मिला ।।