रविवार, 24 नवंबर 2019

खाब और हक़ीक़त में कभी फासला ना हो |
जीवन में खुशियों का कभी खातमा ना हो |
हर उस गली में बहारे बिखरे जिसमे आप निकलो |
रातें भी ठहरें अगर तो उजाला आपका कम ना हो |

गुरुवार, 21 नवंबर 2019

हिंदी कविता - धर्म और इंसानियत |

जब खुदा ने तुझे भी मिटटी से बनाया |
और मुझे भी उसी मिटटी से बनाया |
और कयामत के बाद इसी मिटटी और ख़ाक में मिलाया |
जब तेरे अंदर दिल और मेरे अंदर भी दिल बनाया |
तो कैसे कह दूँ मैं कि खुदा ने तुझे हिन्दू
और मुझे मुसलमा बनाया |


जब तेरे भी जजबात रो पड़ते है |
मेरे भी आँसू पिघलकर बहने लगते है ||
जब तेरे अंतर्मन की वही ब्याख्या
जो मेरे अंतर्मन की है ब्याख्या |
तो फिर कैसे कह दूँ मैं कि खुदा ने तुझे हिन्दू
और मुझे मुसलमा बनाया |

जब तुझे इसी सूर्य की रौशनी रौशन करती |
मुझे भी इसी गगन की गर्मी से तपिस मिलती |
जब तुझे भी इसी कुदरत की गोदी में जगह मिलती
और मुझे भी इसी प्रकति की छावं में ठंडक मिलती |
तो दोस्त खुदा ने हम दोनों में कहाँ फर्क बनाया |

हर एक नजरिये से देखा तुझको
 हर एक नजरिये से खोजा खुद को |
जमीं से लेकर आसमां तक दोनों को सामान पाया |
तो कैसे कह दूँ मैं कि खुदा ने तुझे हिन्दू
और मुझे मुसलमा बनाया

नफरत की कालिमा से झुलस गए है |
मोहब्बत की बारिश से महरूम हो गए है |
आज शख्शियत हमारी शैतान के कब्जे में रहती हैं |
पर जुबाँ की ये जुर्रत देखो खुद को खुदा का बंदा कहती है |

और खुदा ने तुझे कायनात में लाकर |
जब अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बनाया |
और मुझे भी अपने चमन का एक फूल बनाया |
तो कैसे कह दूँ मैं कि खुदा ने तुझे हिन्दू
और मुझे मुसलमा बनाया |

तू है जिस मालिक का बंदा मैं भी उसी मालिक का बंदा
और यकीन मान खुदा ने नहीं इस दुनिया ने तुझे हिन्दू
और मुझे मुसलमा बनाया |
खुदा ने तो हम दोनों को सिर्फ इंसान बनाया |

||आपका दोस्त व हितैषी अमर जुबानी ||

शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

ज़िन्दगी औऱ साँसो का बहोत अटूट रिश्ता होता है, सच मे *रिश्ता यही होता है* कितनी गहराई से जुडा होता है एक के वगैर दूसरा ठहर ही नहीं पाता है |

मंगलवार, 2 जुलाई 2019

इंसान मर सकता है पर उसके विचार नहीं उसके विचार हमेशा किसी ना किसी के दिल मे जिन्दा रहते है| सदी के सच्चे क्रांतिकारी राजीव दीक्षित अमर रहे

सोमवार, 24 जून 2019

दुनिया के पसंद का मैं नहीं बन सकता पर अपनी पसंद का जरूर बन सकता हूँ | दुनिया के पसंद का मैं नहीं कर सकता पर अपनी पसंद का जरूर कर सकता हूँ | दुनिया की मैं कभी नहीं सुन सकता पर खुद की मैं जरूर सुन सकता हूँ मैं अपनी आजादी का कोई मोल नहीं लगा सकता यही मेरा परिचय हैं |

शुक्रवार, 21 जून 2019

फलसफा ज़िन्दगी का कुछ समझ  नहीं आता, यहाँ गैर फ़रिश्ते औऱ अपने दुश्मन क्यों बन जाते है |