तृष्णा मन की बड़ी दुलारी चख चख माया उपजी है
जीव भॅवर में फंसता फिर रोता, नख नख माया खुरेदी है ||
ईश सलोना अंतर्मन में बैठा
पर गुर्राता हंकार उसे छुपाया है |
पथिक बने हर प्राणी को भइया
दुनिया की रौनक ने भरमाया है ||
अलबेली सी ये जिंदगी सुहानी
फुर्र फुर्र चिड़िया सी एक दिन उड़ जाएगी
जप ना सका जो राम की माला तो माया भी झर्र हो जाएगी ||
पढ़ ले साथी साँच की विद्या, ये झूठ कछु काम ना आएगा
समेट ले मनवा असली कमाई, नहीं बिलख बिलख फिर रोयेगा |
...............................जय श्री राम.......................................
जीव भॅवर में फंसता फिर रोता, नख नख माया खुरेदी है ||
ईश सलोना अंतर्मन में बैठा
पर गुर्राता हंकार उसे छुपाया है |
पथिक बने हर प्राणी को भइया
दुनिया की रौनक ने भरमाया है ||
अलबेली सी ये जिंदगी सुहानी
फुर्र फुर्र चिड़िया सी एक दिन उड़ जाएगी
जप ना सका जो राम की माला तो माया भी झर्र हो जाएगी ||
पढ़ ले साथी साँच की विद्या, ये झूठ कछु काम ना आएगा
समेट ले मनवा असली कमाई, नहीं बिलख बिलख फिर रोयेगा |
...............................जय श्री राम.......................................