अजीब इश्क है उनका मुझसे
कि अपनाते भी नहीं
और शिकायत भी रखते हैं
दुनिया छोड़ सकते हैं एक उनके खातिर
पर पता नहीं क्यूँ वो यकीन करते ही नहीं |
और बस यही शिकायत है हमको भी
कि दरिया तो दूर बूँद भी नहीं बरसाते
और कहते हैं शमा जल रहा है |
अमर जुबानी
कि अपनाते भी नहीं
और शिकायत भी रखते हैं
दुनिया छोड़ सकते हैं एक उनके खातिर
पर पता नहीं क्यूँ वो यकीन करते ही नहीं |
और बस यही शिकायत है हमको भी
कि दरिया तो दूर बूँद भी नहीं बरसाते
और कहते हैं शमा जल रहा है |
अमर जुबानी