शनिवार, 17 मार्च 2018

हमने उनके दिए जख्मो से दिल को जलाया
ताकि हमें भी नफ़रत हो जाए उनसे
पर दिल तो जला
मगर दिल में बसी तस्वीर उनकी और निखर गयी |

मंगलवार, 6 मार्च 2018

दूर  तक तलाशता हूँ जिंदगी को
पर जिंदगी अकेली ही नजर आती हैं |

दर्दो से भरी ये एक सबकी कहानी हैं
जो अश्को से भीगी नजर आती हैं |

हकीकत खाब अपने पराये
सब कुछ पलो के साथ हैं |

बस सोचता हूँ अगर आगे चलने को
तो अनसुना रास्ता हैं और अनसुलझे सवाल हैं |

गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

तस्वीर मेरी साफ़ है पर जाने क्यूँ शिकायत रहती हैं लोगो को |
जाने क्यूँ कीमत मेरी एहसास नहीं होती इस खुदगर्ज जमाने को |
सब रंग चढ़े पत्थर को ही दिल समझ लेते है |
पर मेरे आंसुओ को भी लोग दगा कह देते हैं ||
तकलीफ बस यही है मुझ दिल की
की मैं टूट जाता हूँ किसी के लिए
और लोग मुझे टूटा हुआ कह देते हैं |

अलविदा
अमरेंद्र

शनिवार, 2 दिसंबर 2017

दुखद....आंसू आ गए देख के... क्या इंसान स्वयं के जान को ही जिंदगी समझता है ...दिमाग हो न हो पर दिल तो हर जीवो में होता हैं  जो ईस्वर का ठिकाना होता है उसे रुलाकर हम कौन सी ख़ुशी पाएंगे क़यामत इसीलिये फिर किसी पर रहम नहीं करती |

कितने कलेजे चीर देते हैं आसानी से हंसकर |
इंसान तेरी फितरत भी शैतान से काम नहीं ||

शुक्रवार, 24 नवंबर 2017

अजीब इश्क है उनका मुझसे
कि अपनाते भी नहीं
और शिकायत भी रखते हैं

दुनिया छोड़ सकते हैं एक उनके खातिर
पर पता नहीं क्यूँ वो यकीन करते ही नहीं |

और बस यही शिकायत है हमको भी
कि दरिया तो दूर बूँद भी नहीं बरसाते
और कहते हैं शमा जल रहा है |

अमर जुबानी 

गुरुवार, 9 नवंबर 2017

कितना भी बुरा हूँ पर दिल में दर्द तुम्हारा ही है 
इन लबो में जुबान भले ही तेरी शिकायत की हों
पर दिल की गहराई में एहसास तुम्हारा ही है 
बस नासूर है दिल मेरा जो खरोंचो से भी तड़प उठता है 
और मोहब्बत के एक बूँद से छलक भी पड़ता है ||
पर मुझे ना समझने वाले ऐ मेरे फिकरमंद 
         खुदा कोई भी हो 
पर मेरी इबादत में नाम तुम्हारा ही है ||

                   अमर जुबानी 

शनिवार, 4 नवंबर 2017

मायने जिंदगी के तुम्हारे कुछ और ही है
पर मैं तो मौत को भी जिंदगी समझता रह गया
हमें पता ही नहीं था बूत में जान नहीं होती
बस पत्थर में खुदा ढूंढता रह गया |